अच्छी तरह से मैनेजमेंट करने के लिए, व्यक्ति को उसके काम की जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी । काम को गहराई से समझना होगा। उस काम का कितना हिस्सा खुद करेंगे और कितना टीम के सदस्य करेंगे यह निर्धारित करना होगा। इस तरह के विभाजन
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आज का ग्राहक होशियार हो गया है। उसे समझाने के लिए, बड़ी-बड़ी बातें, मार्केटिंग का शोर या खाली वायदे काम नहीं आएंगे। उसे हमारी गुणवत्ता, क्षमता, निष्ठा, नैतिकता और ईमानदारी का प्रमाण देना होगा। नये जमाने के ग्राहक को उल्टा-सीधा समझाकर
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यदि कंपनी के मालिक कवालिटी-गुणवत्ता को प्राथमिकता नहीं देते हैं, तो कर्मचारियों से अच्छी गुणवत्ता की प्रोडक्ट या सर्विस मिलेगी, यह उम्मीद रखना व्यर्थ है। गुणवत्ता की शुरुआत कंपनी में ऊपर से ही होनी चाहिए। उसमें भी जब संजोग सुविधाजनक न
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किसी भी बिज़नेस में विभिन्न स्तरों पर कई विचार पैदा होते हैं। जिस विचार को मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी लेनेवाला कोई मिलता हैं, वो ही विचार आकार लेता है । कंपनियों में जिम्मेदारी लेने की कमी के कारण अक्सर
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थोड़े ग्राहकों की बड़ी समस्याएं या कई ग्राहकों की छोटी समस्याओं को हल करने के लिए आवश्यक हर चीज़ पर ध्यान केंद्रित करके लगातार छोटे-बड़े सुधार करते करते उनकी ज़रूरतों को निश्चित रूप से संतुष्ट करनेवाले बिज़नेस सफल होते ही
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जो बिकता है वही प्रोडक्ट है। बाकी सब कुछ सिर्फ एक विचार है जिसका स्वीकार करने को कोई भी तैयार नहीं है।
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सामान्य लोग एक सुव्यवस्थित सिस्टम में काम करके असामान्य परिणाम ला सकें ऐसी योजना मतलब सफल बिज़नेस ।
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सेलिंग और मार्केटिंग में क्या अंतर है? हमारे पास जो प्रोडक्ट मौजूद है, उसको किसी भी तरह से ग्राहक को पकड़ाकर पैसे कमाने का प्रयास मतलब सेलिंग। ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार प्रोडक्ट बनाकर उसकी समस्या का समाधान हो,
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बिज़नेस में हमारा ध्यान केवल हमें पैसे मिलते रहें उस पर नहीं, लेकिन हमारे ग्राहक बने रहें उसके ऊपर होना चाहिए। अक्सर मुनाफा कमाने के जुनून में हम अच्छे ग्राहक खो बैठते हैं। क्या ग्राहकों के बिना हमें मुनाफा मिल सकता है? अच्छे ग्राहक हम से दूर न
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एक व्यक्ति और एक ब्रांड के बीच कई समानताएं देखने को मिलती हैं। प्रत्येक व्यक्ति के जन्म के समय एक प्रॉमिस, एक संभावना, एक आशा भी जन्म लेती है । जैसे-जैसे जीवन आगे बढ़ता है, वैसे वैसे तथ्य स्पष्ट होते जाते हैं।
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किसी भी बिज़नेस का पहला ध्यान नए ग्राहकों को प्राप्त करने और पुराने ग्राहकों को बनाए रखने के प्रति होना चाहिए। हमारी प्रोडक्ट या सेवा चाहे कितनी ही परफेक्ट हो, हमारी मार्केटिंग चाहे कितनी ही भारी हो, हमें कितने भी पुरस्कार मिले
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लोगों को रोटी, कपड़े और मकान की आवश्यकता होती है, और इसलिए सभी प्रोडक्ट या सेवा के बिज़नेस खड़े हुए। ग्राहकों को जिसकी आवश्यकता नहीं हो, ऐसी प्रोडक्ट या सेवा का बिज़नेस नहीं चल सकता। हमारे पास पूंजी हो, आइडिया हो, या कुछ करने
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स्टाफ मेंबरों के द्वारा कंपनियां छोड़कर जाने की सबसे बड़ी वजह ? हमें लगता है कि लोग वेतन, सुविधाएं या ऐसे किसी कारण से कंपनियों को छोड़ते होंगे। हालांकि, कई सर्वेक्षणों से निष्कर्ष निकला है कि खुद के काम के लिए
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कई बिज़नेस में सेल्स और प्रॉफिट बढ़ाने पर इतना जबरदस्त ध्यान दिया जाता है की कॅश फ्लो को नजरअंदाज कर दिया जाता है। उधार और कर्ज बढ़ते रहते हैं और आखिर बिज़नेस मुश्किल में पड़ जाता है। कार की गति के साथ-साथ टैंक में पेट्रोल के स्तर पर
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“बड़ा सोचो, बड़े सपने देखो, बड़ा विज़न रखो। आपके विज़न में विश्वास करने वाले लोगों को ही टीम में शामिल करें, दूसरों को जाने दें।” ऐसी सलाह काम आ सकती है, लेकिन ऐसी सलाह के मार्ग पर आंखे बंद करके चलकर
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आजकल कंपनियां खुद कुछ सामाजिक सेवा का काम कर रही हैं, ऐसा दिखाने के लिए कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के नाम पर जनसमुदाय के लिए कुछ काम करती हैं और दूसरी तरफ उनके कर्मचारी काम करते वक्त खुश नहीं होते हैं
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सफल टीम विकसित करने के लिए केवल उसको मैनेज करने के बजाय उसे स्वतंत्र निर्णय ले सके इसके लिए सक्षम और तैयार करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। केवल ऐसी स्वतंत्र टीमें ही हमारे बिज़नेस की दीर्घकालिक पूंजी बन सकती हैं।
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हमेशा बिज़नेस के विकास के अवसरों की तलाश करते रहें । ऐसे मौके हमें कहां से मिल सकते हैं? जहां कहीं भी ग्राहकों को कोई समस्या है, उस हर जगह एक अच्छी प्रोडक्ट या सेवा प्रदान करने का अवसर हो
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