हर बिज़नेस अपने नेता की सोच, उसके चरित्र और उसके नैतिक मूल्यों का प्रतिबिंब होता है। जैसा लीडर वैसा उसका बिज़नेस ।
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अक्सर ऐसी योजनाएं या ओफर आते हैं, जो ऐसे पेश किये जाते हैं की जिस में कुछ भी नहीं करने पर भी लाभ होता रहेगा। कुछ किए बगैर सभी को लाभान्वित कराने के ऐसे वादों से सावधान रहना उचित है ।
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कंपनी में विभिन्न डिपार्टमैन्ट्स में ऊपरी अधिकारी आदेश दें, देखरेख रखें और उनके निम्न के लोग काम करें इस तरह से कंपनी चल नहीं सकती । प्रत्येक विभाग के ऊपर से लेकर नीचे तक के सभी लोग साथ मिलकर एक यूनिट
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बिज़नेस में कर्मचारी और मशीन अच्छी तरह से काम करके अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें ऐसी व्यवस्था करनी होती है। काम करनेवाले को काम करने का आनंद आये, उनको उसका गर्व हो उस तरीके से उन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत होती
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यदि बिज़नेस लीडर अपने केबिन में बैठा रहे और कर्मचारियों के पास कोई समस्या हो तो उसे लेकर अपने पास आने के लिए कहे, तो ज्यादातर समस्याएं उस तक पहुंचेंगी ही नहीं । इसका कारण यह है कि कुछ किस्सों में कर्मचारियों
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कंपनियों में एक क्वॉलिटी कन्ट्रोल विभाग होता है। यह विभाग डिफेक्टिव पीस ढूंढ सकता है। लेकिन इससे क्वॉलिटी में बहुत सुधार नहीं हो सकता है। क्योंकि यह पोस्टमॉर्टम के जैसा है। पोस्टमार्टम से शख्स की मौत का कारण ही पता चलता
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ज्यादातर लोग अच्छा काम करना चाहते हैं । उनके पास ऐसा काम करने की क्षमता, कौशल और तैयारी सब कुछ होता है । उनको भी कुछ प्रदान करना होता है और अपने काम के जरिए अपने सपनों को साकार करने की
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मैनेजमेंट में सफलता के लिए परिणामों से ज्यादा वह परिणाम आने के कारणों पर ध्यान देना अधिक महत्वपूर्ण है।
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जिस तरह एक कार को चलाने के लिए सिर्फ पीछे का द्रश्य दिखानेवाली रियर-व्यू-विंडो में देखकर ड्राइवींग नहीं किया जा सकता है, उसी तरह केवल मौजूद परिणामों को देखकर ही बिज़नेस का मैनेज करना संभव नहीं है। परिणाम भूतकाल के प्रतीक
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हमारी कंपनी में होने वाले रेगुलर -नियमित कार्य स्टेप-बाय-स्टेप-चरणबद्ध शब्दों में लिखे जायें ऐसे होने चाहिए । जिन कामों का ऐसे स्टैण्डर्ड प्रोसेस नहीं लिखा जा सकता, उन्हें पहले व्यवस्थित रूप से सरल बनाने की आवश्यकता हो सकती है। कंपनी को
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व्यापार और जीवन के दो बुनियादी नियम। 1. परिवर्तन के बिना प्रगति संभव नहीं है। 2. परिवर्तन-बदलाव कोई भी पसंद नहीं करता है। इन दो नियमों के बीच सही संतुलन स्थापित करके जो आगे बढ़ सकता है, वो विकसित होता है।
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जो कंपनियां गलतियां करती हैं, उसका सबसे बड़ा कारण होता है उनकी ऑपरेटिंग सिस्टम और प्रोसेस में कमियां । अगर कहीं कुछ कुछ उथल-पुथल हो जाता है, अगर स्टाफ का कोई व्यक्ति गलती करता है तो उन्हें दोषी ठहराकर फायरिंग देने के बजाय सिस्टम या प्रक्रिया में
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कोई एक कार्य पूरा करना है? सबसे पहले उसे शुरू करो। काम वही पूर्ण होता है, जो शुरू होता है। यात्रा वही संपन्न होती है, जो शुरू होती है। अक्सर पहला कदम उठाना ही सबसे बड़ी चुनौती होती है।
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आपकी दुकान या शो-रूम से कुछ खरीदने के बाद, “क्या लिया है?” यह पूछे जाने पर यदि ग्राहक पहले कहां से लिया वह बताता है, तो इसका मतलब यह है कि उसको वहां अच्छा अनुभव हुअा है। बस ग्राहक ऐसा कहें उस पर
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ग्राहकों का लंबे समय तक साथ पाने के लिए, ग्राहकों के दिमाग में ही नहीं, बल्कि उनके दिल में प्रवेश करने की कोशिश करें। लोग भावनाओं के आधार पर कुछ खरीदने का फैसला करते हैं और फिर तर्क के माध्यम से अपने निर्णय
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जब कोई ग्राहक हमारे पास समस्या लेकर आता है, तो उस वक्त दो चीज़ों का समाधान करने की ज़रूरत होती है। 1) जो मौजूद है वह समस्या 2) ग्राहक का हम पर डगमगा हुवा भरोसा केवल एक समाधान अधूरा होगा।
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बिज़नेस में यदि आप कोई नई परियोजना या नई गतिविधि शुरू करते हैं, तो उसमें सफलता या विफलता मिल सकती है। सफलता मिलने पर धन भी मिलेगा। लेकिन अगर आपको विफलता मिलती है लेकिन कम से कम आप उसमें से कुछ
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“एक ब्रांड जिस का आप अभी तक उपयोग कर रहे थे उसको आपने किस कारण से छोडकर दूसरी ब्रांड का चयन किया?” इसके जवाब में जयादातर (73%) लोगों ने जवाब दिया: “कर्मचारियों का अशिष्ट व्यवहार, उन में समस्या को समझने या सुलझाने के कौशल का
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