जितनी तेज़ी से एक कंपनी का मालिक सोचता है और व्यवहार करता है, उतनी ही तेज़ी से कंपनी के कर्मचारी सोचते और व्यवहार करते हैं। अंत में, बॉस की गति ही कंपनी की गति बन जाती है। Share the knowledge
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