सफल कंपनियां हमेशा ग्राहक के जूते में अपने पैरों को रखकर उनकी तक़लीफ़ों को समझने की कोशिश करती हैं । असफल कंपनियां अपने ख़ुद के जूते को कैसे भी करके ग्राहक के पैरों में फिट करने की कोशिश करती हैं।
“मेरे ग्राहक को क्या लाभ होगा?” इसके बारे में सोचने वाली कंपनियां सफल होती हैं।
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